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हमारे जीवन में स्थायी जगह बना चुका मोबाइल फोन अब उन व्यवसायों में सेंध लगाने लगा है, जो इसके पहले तक हमारी दिनचर्या के साथ काफी करीब से जुड़े थे। इंटरनेट सुविधा से लैस सस्ते मोबाइल और स्मार्टफोन बाजार में आने के साथ ही, मीडिया के समीकरण बदलने लगे हैं। माना जा रहा है कि निकट भविष्य में रेडियो, टीवी और समाचार-पत्रों की विज्ञापनों से होने वाली आय में कमी होगी, क्योंकि ये माध्यम एकतरफा हैं। मोबाइल के मुकाबले इन माध्यमों पर विज्ञापनों का रिटर्न ऑफ इन्वेस्टमेंट (आरओआई) कम है। मोबाइल आपको जानता है, उसे पता है कि आप क्या देखना चाहते हैं और क्या नहीं देखना चाहते हैं। मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जुड़ा एक दिलचस्प आंकड़ा यह भी है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या में कोई खास अंतर नहीं है। मोबाइल के जरिये अब बेहद कम खर्च पर देश के निचले तबके तक पहुंचा जा सकता है।

मोबाइल मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार, भारत में वित्तीय वर्ष 2013 में मोबाइल विज्ञापन 60 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। वैश्विक परिदृश्य में शोध संस्था ई मार्केटियर के अनुसार, मोबाइल विज्ञापनों से होने वाली आय में 103 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। साल 2014 की पहली तिमाही में इंटरनेट विज्ञापनों पर व्यय की गई कुल राशि का 25 प्रतिशत मोबाइल विज्ञापनों पर किया गया। इसमें बड़ी भूमिका फ्री मोबाइल ऐप निभा रही हैं, जिनके साथ विज्ञापन भी आते हैं। इस बात ने विज्ञापनदाताओं का भी ध्यान बहुत तेजी से अपनी ओर आकर्षित किया है। इस समय भारत में दिए जाने वाले कुल मोबाइल विज्ञापनों का लगभग 60 प्रतिशत टेक्स्ट के रूप में होता है। आधुनिक होते मोबाइल फोन के साथ अब वीडियो और अन्य उन्नत प्रकार के विज्ञापन भी चलन में आने लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2015 तक भारत में मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट का उपभोग करने वालों की संख्या 16 करोड़ से भी अधिक हो जाएगी।

मोबाइल फोन एक अत्यंत ही व्यक्तिगत माध्यम है और इसीलिए इसके माध्यम से इसको उपयोग करने वाले के बारे में सटीक जानकारी एकत्रित की जा सकती है। यही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी भी है, क्योंकि इसके माध्यम से जुटाई गई जानकारी काफी संवेदनशील हो सकती है और उस पर आधारित विज्ञापनों को उपभोक्ता अपनी निजी जिंदगी पर हमले के रूप में ले सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि मोबाइल विज्ञापनों को उपभोक्ताओं की मंजूरी के बाद ही उन तक भेजा जाए। यह अत्यंत ही व्यक्तिगत उपकरण है, इसलिए उपभोक्ताओं की मंजूरी से उन वस्तुओं के भी विज्ञापन उन्हें भेजे जा सकते हैं, जिन्हें पारंपरिक माध्यमों द्वारा भेजा जाना संभव नहीं होता है। बावजूद इसके जल्द ही हर तरह के मोबाइल विज्ञापन हमारी जिंदगी का हिस्सा बनने जा रहे हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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